sandeep kumar verma
सतगुरु मेरा बाणिया

सतगुरू मेरा वानिया, करता कर्म गंवार|
बिन कांटी बिन पालड़े(तराजु),
तौल दिया संसार॥
कहे ओशो कहे चेला, सब चला चली का खेला॥ (यू ट्यूब पर इस भजन को देखने के लिए इसे क्लिक करें)
(जो भी बदल रहा है – चल रहा है–वह सिर्फ नाटक (play –खेल) का हिस्सा है, जो भी बदलरहा है उसे गंभीरता से मत लो, (जिसने ठहरकर देखा, उसी ने ये जाना) मन को कुछ सेकंड रोज ठहराकर खुद जानने का प्रयत्न करते रहो इस चला चली को और इसे गंभीरता से लो.
इस मन के ठहराने को गंभीरता से लो क्योंकि वह जो ठहरा हुआ है वह ठहरकर ही जाना जा सकता है, उसी पर सारे बदलाव नोटीस और स्टोर किये जा सकते है, वह तुम हो और उसका ना जन्म हुआ ना मृत्यु होगी वह सिर्फ एक रोल करने स्टेज पर आया है और खत्म होने पर स्टेज छोड़ देना है, जो तुम्हारा शरीर है और जो तुम कर रहे हो या तुम्हें करने का मौका मिला है, वही तुम्हारा रोल है. सिर्फ डायलाग भी तुम्हारे ही होंगें open mike की तरह, और उनका परीणाम भी तुम्हीं
को…
यह पूरी धरती या वृहद कॉसमास ही एक स्टेज है और अनंत काल से अनंत काल का यह नाटक है जिसमें किरदार जन्म लेकर अंत तक रोल ही करते रहते हैं, इसलिए उन्हें वह हकीकत लगता है। पूरी कायनात इसमें रोल अदा कर रही है। इसलिए इसको जैसा है वैसा ही समझ लेना जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना है और इसका वर्णन भी नहीं किया जा सकता बस ‘जैसा है वैसा’ कहा है जिसने कहा. बुद्ध ने चुप रहना पसंद किया और कहा तो इतना कि मेरे बताए अनुसार करके खुद देख लो । जीसस ने ‘भगवान का राज्य तुमको मिला ही हुआ है, उत्तराधिकार के रूप में’ बस जान जाओ कि तुम कौन हो– कहकर मोटीवेट किया। तो नानक हुकमी कहकर गीत गाते रहे।
कुछ लोग रोल को सीरीयसली ले लेते हैं और अपने आपको वही समझने लगते हैं जो उनका प्रोफेशन/पोस्ट/जाती/धर्म/देश…. सारे प्याज के छिलके होकर भी वह नहीं हो पाते जो हैं ही, बस जानना ही काफी है लेकिन उस दिशा की तरफ जाने से ही कतराते हैं।
अपने आप से छुपा छुपी खेलते हैं और हर बार गलत को ढूंढ लेते हैं या दाम ही देते रहते हैं। एसे में कच्ची हंडी वाले के मजे रहते हैं, बस नाम को छोड़कर।
नोट: जो नीले रंग में या अलग रंग में दिख रहे शब्द हैं उनको क्लिक करने से उसके बारे में और अधिक जानकारी मिलेगी YouTube या FB के माध्यम से।
ओशो द्वारा सुझाया सहज ध्यान यानी होंश पूर्वक जीना यानी रोज़ के काम में होंश का प्रयोग मेरे जीवन को बदलकर रख गया। अपने आप सहज ही मन सपने देखना कम कर देता है, फिर जब भी सपना शुरू करता है तो विवेकपूर्वक उसका आना दिखाई देने लगता है, और दिखाई दे गया कि फिर बुना नया सपना मन ने-तो फिर रोकना कोई कठिन काम नहीं है। मैंने इसे ओशो की एक किताब से सीखा और जीवन में सुबह ब्रश करते समय प्रयोग करके साधा।
Awareness meditation is the way worked for me, may be you too find it suitable otherwise Dynamic meditation is for most of the people. There are 110 other meditation techniques discovered by Indian Mystic Gorakhnath about 500years before and further modified by Osho that one can experiment and the suitable one could be practiced in routine life.
Osho International Online (OIO) provides facility to learn these from your home,
1. through Osho Meditation Day @€20.00 per person. OIO rotate times through three timezones NY,Berlin and Mumbai. You can prebook according to the convenient time for you.
2. There is OSHO Evening Meeting streaming which can be accessed every day at local time starting 6:40 pm (of which Osho says that he wants his people to view it all over the world and these days it is possible) and 16 of the meditations mostly with video instructions and so much more on OSHO.com/meditate.
3. There is a 7 days Free Trial also for people who would like to first try it out.
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